Thursday, September 30, 2010

आओ राम ! साथ-साथ रोएँ

मैं सच कहूँगा तुमसे मेरे राम !
मैं नहीं जानता तुम्हारी ऐतिहासिक सच्चाई
नहीं जानता
तथ्यतः कुछ भी तुम्हारे विषय में।
अगर कुछ जानता हूँ मैं
तो मेरा विश्वास है-
उन कवियों और अख्याताओं पर
जिन्होंने रचा है
तुम्हारा महा वृत्तान्त
कि एक राजा था कोशल देश का
जिसके चार सपूतों में तुम थे सबसे बड़े
सिया सुकुमारी के आख्यान के नायक होने के नाते
आदि कवि ने दिया था तुम्हें उच्चासन
तुम्हारे चरित्र को
सिया की विडंबना के साथ सबने
गाया मिलकर साथ साथ
............ लेकिन आज उस देश में
जहाँ मर्यादा पुरुषोत्तम बने तुम
तुम्हारे नाम का अस्त्र और शस्त्र बनाकर
बनिक बुद्धि के कुछ कुटिल राजनीतिज्ञ
कर रहे हैं हमारी भावना की नृशंस हत्या
हमारी सहायता के लिए नहीं आना, तो मत आओ,
पर आओ एकबार अवश्य धरती पर
ताकि रोएँ साथ साथ मिलकर
आओ राम , आओ
मैं रोना चाहता हूँ तुम्हारे कंधे से लगकर ......... ।

5 comments:

P.N. Subramanian said...

इस लिंक पर जाएँ और अपने मन को शांत करें

http://podcast.hindyugm.com/2009/04/ramrajya-bapu-ka-sapana-dharti-par-lao.html

दीपक बाबा said...

आप का मन बहुत अशांत है. पर ये मौका है खुशी का...... मन से बोलें

श्रीराम जय राम - जय जय राम

बधाई हो
बधाई हो

दोनों पक्षों को शुभकामनाएं.

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

दोवारा वनवास झेल रहे श्री राम को वापस आने का मौका मिला है, इसे हर्ष के साथ मनाएं. कम से कम ये तो संतोष है कि राम के मुकाबले बाबर को खडा करने की साजिश कामयाब नहीं हो सकी अन्यथा कल को राम विदेशी और बाबर इस देश का नागरिक सिद्ध हो जाता.
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड, जय श्री राम

रवीन्द्र दास said...

ha-ha-ha....... very funny. thanks to visit my blog. you all are ..........

Raag Viraag said...

सही कहा आ के रोओ,
टिप्पणीकारों की टिप्पणी पढ़ के तो बुलावा और जरुरी लग रहा है. ये बदलने वाले नहीं हैं.