Monday, April 18, 2011

जबावों के सवाल

मेरे पास कुछ सवाल थे
उनके पास जबाव
समय बीतता गया ..
उनके जबावों से उगते रहे नए नए सवाल
और हम
उनके जबावों ...
और उनसे पनपे सवालों से घिरते गए ...
आज स्थिति यह है,कि समझना मुश्किल हो गया है ..
जबाव उनका है
या सवाल उनका ...
काल-सर्प दोष की मानिंद
वैचारिक जन तो थूक निगलने के सिवा
कुछ कर ही नहीं पाता ..
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