मेरे पास कुछ सवाल थे
उनके पास जबाव
समय बीतता गया ..
उनके जबावों से उगते रहे नए नए सवाल
और हम
उनके जबावों ...
और उनसे पनपे सवालों से घिरते गए ...
आज स्थिति यह है,कि समझना मुश्किल हो गया है ..
जबाव उनका है
या सवाल उनका ...
काल-सर्प दोष की मानिंद
वैचारिक जन तो थूक निगलने के सिवा
कुछ कर ही नहीं पाता ..
उनके पास जबाव
समय बीतता गया ..
उनके जबावों से उगते रहे नए नए सवाल
और हम
उनके जबावों ...
और उनसे पनपे सवालों से घिरते गए ...
आज स्थिति यह है,कि समझना मुश्किल हो गया है ..
जबाव उनका है
या सवाल उनका ...
काल-सर्प दोष की मानिंद
वैचारिक जन तो थूक निगलने के सिवा
कुछ कर ही नहीं पाता ..
Top of Form
Bottom of Form
No comments:
Post a Comment