सिगरेट पीने वाली लडकी....
यूँ तो थी
बडी ही खूबसूरत
अपने तीखे नैन-नक्श से
पर उसकी उद्विग्न सी भंगिमा...
मुझे अनायास ही
खींचती थी हर बार..
कि जैसे हर कश पर ले रही थी प्रतिशोध
किसी फ़रेब का
और आस-पास से गुजरते लोगों का
सतर्क अनदेखा करना...
बडा ही जालिम लगता था...
वह सिगरेट पीने वाली लडकी...
बहुत प्यार करती थी खुद से
सिर्फ़ यही बात समझाने के लिए....
मैं उसे हरसत भरी निगाहों से देखा करता था....
सिगरेट पीने वाली लडकी !!!
3 comments:
aapki kavita phli baar padh rahi hoon.charcha manch ke madhyam se aapke blog ka pata chala.aap bahut achcha likhte hain.kavita bahut achchi lagi.apne blog par aane ka nimantran bhi de rahi hoon.
भावों को बखूबी उकेरा है आपने..... अच्छी लगी आपकी रचना.....
लाजवाब .....
बहुत दिनों बाद कोई अच्छी रचना पढने को मिली .....
पहली बार आई हूँ आपके ब्लॉग पे ...
निश्चित रूप से आप क्षणिकायें भी लिखते होंगे
तो भेजिए न अपनी क्षणिकायें 'सरस्वती - सुमन'पत्रिका
के लिए जो क्षणिका विशेषांक है ....
harkirathaqeer @gmail पर
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