Saturday, June 14, 2008

मनुष्य की परिभाषा


परिभाषा है मनुष्य की
विवेकशील पशु
पशु कपड़े नहीं पहनते
मनुष्य पहनता है
कपड़े तरह-तरह के
नहीं हैं समानार्थी
विवेक और वस्त्र
मनुष्य पसंद नहीं करता है
जानवर कहलाना
जानवर का तात्पर्य है
बुरा मनुष्य
बस कुछ देर के लिए
मनुष्य ने किया है अर्जित
भाषा, वस्त्र, धर्म, और भी बहुत कुछ
मनुष्य ने किया है
छोड़ने और पकड़ने का विकल्प
मसलन,
पशुता को कला कहा जाना
शालीनता को पिछडेपन
वगैरह, वगैरह .....
मनुष्यों में स्टेटस का चलन है
मनुष्यों में पैसे का शासन है
पैसा प्राकृतिक नहीं
उपलब्धि है यह मानवीय
पैसे की ताकत से
हो सकता है कोई भी पशु
किंतु पालतू नहीं
जंगली और खूंखार
पशु परिवार नहीं बसाते
परिवार बसाता है मनुष्य
क्यों बसाता है परिवार ?
जिसने नहीं बसाया परिवार
वह क्यों नहीं है पशु
चाहे जंगली या पालतू!

1 comment:

महेन said...

आपकी परिभाषा थोड़ा अतिवादी लगी, मगर साधा आपने बिल्कुल सही है। मेरा विवाद विचार से है कविता से नहीं। रचना बहुत सुंदर लगी आपकी।
शुभम्।