Monday, March 2, 2009

मुझे अहसास हो रहा है अब

मुझे अहसास हो रहा है अब
कई वर्षों के बाद
कि मैं वंचित रह गया था तुम्हारे प्यार से ।
इसलिए नहीं कि मैं अपात्र था
इसलिए भी नहीं
कि तुम्हारे ह्रदय-साम्राज्य पर
कोई अन्य काबिज था
तुम कोई डरपोक या दकियानूसी भी नहीं थे
बात बहुत छोटी थी
जनता हूँ ,
जो भी सुनेगा , हंसेगा
मैं नादान नहीं था
न ही असमर्थ या कायर ही था
फिर भी जानता नहीं था मैं
कि मुझे करना क्या था !
मुझे याद है आज भी
तुम्हारी वो बेवसी
जो मेरी किंकर्तव्य-विमूढ़ता से
कई दिनों तक तैरती रही थी तुम्हारी आंखों में ।

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