Saturday, July 11, 2009

माँ! मैं झूठ नहीं कहता

माँ! मैं झूठ नहीं कहता
मैं तुमसे प्यार नहीं करता
नहीं चाहता हूँ मैं तुम्हे
मैं तो अमेरिका को चाहता हूँ
माफ़ करना,
ओ मेरी स्वर्ग सी बेहतर जन्मभूमि!
मुझे नहीं है फक्र
कि मैंने तेरे आँचल में जन्म लिया
वरना होश सँभालने के बाद से
नहीं देखता सपने अमेरिका के

ओ मेरी मातृभाषा !
माफ़ करना तुम भी
शर्म के कारण नहीं बोल पाता
माँ की जुबान
कि आस-पास के लोग कहीं गंवार न समझ लें
माँ ! जैसे तुम अकेली और मरणासन्न हो
वैसे ही तुम्हारी सिखाई जुबान है
पीड़ित और उपेक्षित

लेकिन माँ !
मैं लानत भेजता हूँ उनलोगों पर
जो माँओं और मातृभूमि को छोड़ कर
जा बसे हैं सात समुन्दर पार
फिर भी करते है चिरौरी
कि आहाहा....!
मेरा देश , मेरा अपना देश ...

माँ! मैं अच्छा पुत्र नहीं हो पाया
दुःख तो सालता है इसका
पर माँ! तुमसे कहता हूँ सच
मैं तुम्हें याद नहीं करता हूँ वैसे
जैसे हिन्दी के कवि करते हैं सिद्धांतों में ।

1 comment:

kisi ka beta said...

tarif karun ya bura kahun- i m totally confused, really.
but is true, a crual true. sorry.