बहुत तेज हो रही थी बारिश
कि मानो बौछारों से
छिद जाएँगे - ईंट , पत्थर भी
ऐसे भयानक वातावरण में
अत्यन्त सुकोमल
और सुगठित देह यष्टि वाली नवयुवती
निराश्रय खड़ी
रास्ते किनारे कहीं ...
न जाने किस प्रतीक्षा में भींग रही है
देखती हुई सभी आने -जाने वालों को
देखी भी जा रही है निस्संदेह
आते-जाते मुसाफिरों द्वारा
कई लोगों के , मसलन मेरे मन में भी
आती है बात कि करूँ मदद
कई लोगों की ओर देखती है वह भी
मदद वाली नजरों से
शंकालु है वह भी
शंकालु हैं लोग भी
जबकि मानता है पूरा शहर
कि नहीं होते हैं सभी लोग ग़लत
बदमाश हैं मुट्ठी भर लोग
किंतु यह सर्वसम्मत समझ भी
नहीं कर पाती है मदद शंका दूर कराने में
अक्सर सुना जा सकता है कहते हुए लोगों से
संवेदनहीन हो गए हैं हम लोग
जबकि पैदा होती हैं शंकाएँ
अत्यधिक संवेदनशीलता से
तेज बारिश
अथवा तेज धूप का असर
शर्तिया बहुत कम है अति-संवेदनशीलता से ।
कि मानो बौछारों से
छिद जाएँगे - ईंट , पत्थर भी
ऐसे भयानक वातावरण में
अत्यन्त सुकोमल
और सुगठित देह यष्टि वाली नवयुवती
निराश्रय खड़ी
रास्ते किनारे कहीं ...
न जाने किस प्रतीक्षा में भींग रही है
देखती हुई सभी आने -जाने वालों को
देखी भी जा रही है निस्संदेह
आते-जाते मुसाफिरों द्वारा
कई लोगों के , मसलन मेरे मन में भी
आती है बात कि करूँ मदद
कई लोगों की ओर देखती है वह भी
मदद वाली नजरों से
शंकालु है वह भी
शंकालु हैं लोग भी
जबकि मानता है पूरा शहर
कि नहीं होते हैं सभी लोग ग़लत
बदमाश हैं मुट्ठी भर लोग
किंतु यह सर्वसम्मत समझ भी
नहीं कर पाती है मदद शंका दूर कराने में
अक्सर सुना जा सकता है कहते हुए लोगों से
संवेदनहीन हो गए हैं हम लोग
जबकि पैदा होती हैं शंकाएँ
अत्यधिक संवेदनशीलता से
तेज बारिश
अथवा तेज धूप का असर
शर्तिया बहुत कम है अति-संवेदनशीलता से ।
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