Wednesday, July 16, 2008

शहर का बच्चा

शहर का बच्चा ,
कायदे से पैदा होता है
कायदे में रहकर
कायदे की जिन्दगी जीता है
शहर का बच्चा
कायदे का बच्चा होता है.
कायदा सिर्फ़ पाबन्दी नहीं ,
एक तालीम भी है
सिर्फ़ मज़बूरी नहीं ,
एक गुर भी है.
शहर उसे समझा देता है
फायदे के लिए कायदा कितना जरुरी होता है !
शहर का बच्चा ,
जान लेता है बचपन में ही
बेकायदा पैदा होने वाले की फितरत
इन्हीं को देखकर
दिनों दिन संतुष्ट होता हुआ
कट लेता है अपना बचपन.
कई बार जब ,
नहीं रुचता है माँ -बाप का कायदा
अपना फायदा सोचकर
आँखें बंद कर लेता है
शहर का बच्चा !

3 comments:

शोभा said...

कई बार जब ,
नहीं रुचता है माँ -बाप का कायदा
अपना फायदा सोचकर
आँखें बंद कर लेता है
शहर का बच्चा !
इतना भी मासूम नहीं है शहर का बच्चा। मुझसे पूछिए- मैं सारा दिन बच्चों की शैतानियाँ देखती हूँ। ः)

राजीव तनेजा said...

सही बात...

डॉ. मोनिका शर्मा said...

मर्मस्पर्शी और विचारणीय भाव