Friday, May 15, 2009

वापस जो आ गए हो

वापस जो आ गए हो
रौनक भी आ गई है
तेरे बगैर सूनी दुनिया ही हो चली थी
तपती सी रेत में ज्यों
भटका हुआ मुसाफिर
राहों को खोजता सा
ईश्वर को कोसता हो
जाऊं कहाँ? किधर से?
लेकिन ,
गिला खुदा से
मेरा न अब कोई है
तुम आ गए हो वापिस
सांसे भी लौट आई
हसरत तेरी नज़र थी
आबाद हो गया हूँ
तेरे कदम से हमदम
दुनिया ही चल पड़ी है
तेरे बगैर सूनी दुनिया जो हो चली थी
मकसद भी मिल गया है
हसरत भी मिल गई है
वापस जो आ गए हो
रौनक भी आ गई है ।

4 comments:

डिम्पल मल्होत्रा said...

तुम आ गए हो वापिस
सांसे भी लौट आई...boht sunder ahsaas...kuchh apne se lage...

admin said...

Tera aana bhee
kuch paane sa lage hai
shaayad khokar arse baad

रवीन्द्र दास said...

dhanyvad, Raj!
aap hamari anubhooti me shamil hue.

रवीन्द्र दास said...

Chandan,
achchhi kahi.Dhanyvad.