इस हालत में भी अच्छी है उसकी यादाश्त
' बड़े मजे थे उन दिनों '
उसने ही बताया
वह लड़की थी या है
स्त्रीरोग विशेषज्ञ डाक्टर ने बताया
'खूबसूरत नहीं है '
मुझे लगा
मांसल रही होगी - मुझे ही लगा
'वह क्रांति नहीं चाहती थी '
अफ़सोस वाली शिकन ने जताया
विमूढ़ माँ उसके साथ थी
कोई झल्लाया सा भाई भी
बहुतों ने महसूस किया
'कोखजली गाली नहीं होती '
तारे तोड़कर लेन वाले ने धरती चटा दी
उसके कुछ पैसे गए
इसे सिर्फ मजा आया
जब देने की बरी आई - वह निस्संग हो गया
खेल था या युद्ध ?
देवी नहीं , दासी नहीं तो कौन है बस देह !
प्यार था - व्यापार था ?
कोई टिप्पणी नहीं की इसने
पर आँखों में सवाल तो था -
यौवन या जीवन ?
पैसों की कमी होती तो फंसता समाज
किसी ने मशविरा दिया- तो पाल लेते !
सुस्मित होकर उसने कहा -
बड़े बदतमीज हैं जी आप !
' बड़े मजे थे उन दिनों '
उसने ही बताया
वह लड़की थी या है
स्त्रीरोग विशेषज्ञ डाक्टर ने बताया
'खूबसूरत नहीं है '
मुझे लगा
मांसल रही होगी - मुझे ही लगा
'वह क्रांति नहीं चाहती थी '
अफ़सोस वाली शिकन ने जताया
विमूढ़ माँ उसके साथ थी
कोई झल्लाया सा भाई भी
बहुतों ने महसूस किया
'कोखजली गाली नहीं होती '
तारे तोड़कर लेन वाले ने धरती चटा दी
उसके कुछ पैसे गए
इसे सिर्फ मजा आया
जब देने की बरी आई - वह निस्संग हो गया
खेल था या युद्ध ?
देवी नहीं , दासी नहीं तो कौन है बस देह !
प्यार था - व्यापार था ?
कोई टिप्पणी नहीं की इसने
पर आँखों में सवाल तो था -
यौवन या जीवन ?
पैसों की कमी होती तो फंसता समाज
किसी ने मशविरा दिया- तो पाल लेते !
सुस्मित होकर उसने कहा -
बड़े बदतमीज हैं जी आप !
2 comments:
तीन बार कविता पढ़ी, हर बार उलझ सा गया।
kabhi kisi ne ise ek achchha sa symposium kahaa tha, aap bhi vahi samajhkar dekhen, shayad kuchh baat bane ! Dr. Bhaskar. shukriya.
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