Friday, April 13, 2012

नई बात सुनना चाहता था ..

नई बात सुनना चाहता था
सुना-
अनिलजी बीमार हैं
जीबू हार गया एलेक्शन में
सैयद, न जाने क्यों, तीन महीने से फ़रार है
शेखर की पत्नी खूबसूरत है
लेकिन तीन महीने के पेट से है
मनोज चुप चुप रहता है
सुना है, बडी ऊँची पढाई करके लौटा है
राजीव की धूम मची है
दिल्लीवाले भी उसको जानते हैं
त्रिपाठीजी को लाखों का ईनाम मिला है
विभास कालेज में मास्टर लगा है
शिवानी की मंगनी मनेजर से हुई है
बहुत कमाता है, लेकिन भेंगा है
बिरिज फिरंट हो गया
बनिया की बेटी को लेकर
भाईजी की किताब छपी है
मोनू .. जीजी का बेटा अब चलने लगा है
....
बहुत लोगों ने बहुत कुछ बताया
किसी ने नहीं बताया
तो रेनू ! तेरे बारे में ...
क्या सोचती है
क्या जीती है
क्या लिखती है
क्या सोती है

4 comments:

rb said...

humm good one

madhurima said...

Superb.....your poems has a crisp, fresh tone that matches the undercurrents of day today life...I enjoy reading them

रवीन्द्र के दास said...

धन्यवाद रीना जी ! धन्यवाद मधुरिमा जी ! स्वागत है .. :)
रवीन्द्र दास

राजीव तनेजा said...

अलग सा तेवर लिए सुन्दर रचना