Saturday, May 12, 2012

कबीर के प्रति

बहुत कोशिश के बावजूद

बमुश्किल कर पाता हूँ यकीन

कि कबीर दास अनपढ़ थे!

होना पड़ता है शर्मिंदा पढ़ते -पढाते कबीर को

कि हम दीक्षित - सुशिक्षित लोग

नहीं समझ पाए

उनकी बानी

फिर भी चूकते नहीं

1 comment:

Onkar said...

bahut sahi kaha aapne