Sunday, January 23, 2011

स्त्रीवाद का बाज़ार

स्त्री की वास्तविक स्थिति के मंथन के लिए
आवश्यक है
सम्भोग का सम्यक और सांगोपांग वर्णन।
मर्द-जात जानता है स्त्री को
इसी शक्ल में।
इस रणनीति ने ही गर्म किया है
स्त्रीवाद का बाज़ार
आप मानें, या न मानें
शर्तिया फर्क आया है मर्दों के दृष्टिकोण में
बस, एक बार
बाज़ार का मुआयना करके देखिये।

1 comment:

Creative Manch said...

नंगे सत्य को उकेरती सशक्त रचना
आज का सामयिक सच यही है
सुन्दर कविता
बधाई
आभार

गणतंत्र दिवस की मंगलकामनाएं