बहुत दिन हुए,
हुआ था एक राजा।
वैसे तो राजा का होना नहीं है कोई बात
क्योंकि राजा अक्सर हुआ करता है,
कभी दुनिया में
और कभी कभी कहानियों में।
तो उसी तरह हुआ था
कहानी में एक राजा,
जो बहुत गरीब था
(सचमुच के मंत्री भी गरीब नहीं होते,
पर कहानियों का राजा भी गरीब हो सकता है)
सो गरीब राजा को इच्छा हुई
कि प्रेम करूँ।
उसने अपने (भ्रष्ट) मंत्री से अपनी इच्छा बताई
मंत्री तो मंत्री था
उसने शहर-कोतवाल को आदेश दिया
कि जैसे पानी में मछली नखरे करती है
वैसी नखरैल गणिका का प्रबंध हो
जल्दी-से-जल्दी
कि साला राजा पर जवानी जोर मर रही है
कोतवाल तो एक ही उस्ताद था
बंद- बदनाम गलियों का
सो पल भर में
सबसे खूबसूरत और मशहूर गणिका को
किसी सेठ के विस्तर से झपट लाया
तभी अमीर मंत्री हाजिर हुआ
बेचारे गरीब राजा के हुजुर में
कि माई-बाप, यह नजराना कुबूल करें
और जो न आये पसंद तो मेरे सर पर
सौ जूते पिटवाएं
और सारा दृश्य देखकर राजा हक्का-बक्का ...........
बहुत दिन हुए
एक गरीब राजा हुआ था
वह प्रेम करना चाहता था
और मंत्री,
उसके पास गणिका भेज दिया करता था
बहुत दिन हुए।
हुआ था एक राजा।
वैसे तो राजा का होना नहीं है कोई बात
क्योंकि राजा अक्सर हुआ करता है,
कभी दुनिया में
और कभी कभी कहानियों में।
तो उसी तरह हुआ था
कहानी में एक राजा,
जो बहुत गरीब था
(सचमुच के मंत्री भी गरीब नहीं होते,
पर कहानियों का राजा भी गरीब हो सकता है)
सो गरीब राजा को इच्छा हुई
कि प्रेम करूँ।
उसने अपने (भ्रष्ट) मंत्री से अपनी इच्छा बताई
मंत्री तो मंत्री था
उसने शहर-कोतवाल को आदेश दिया
कि जैसे पानी में मछली नखरे करती है
वैसी नखरैल गणिका का प्रबंध हो
जल्दी-से-जल्दी
कि साला राजा पर जवानी जोर मर रही है
कोतवाल तो एक ही उस्ताद था
बंद- बदनाम गलियों का
सो पल भर में
सबसे खूबसूरत और मशहूर गणिका को
किसी सेठ के विस्तर से झपट लाया
तभी अमीर मंत्री हाजिर हुआ
बेचारे गरीब राजा के हुजुर में
कि माई-बाप, यह नजराना कुबूल करें
और जो न आये पसंद तो मेरे सर पर
सौ जूते पिटवाएं
और सारा दृश्य देखकर राजा हक्का-बक्का ...........
बहुत दिन हुए
एक गरीब राजा हुआ था
वह प्रेम करना चाहता था
और मंत्री,
उसके पास गणिका भेज दिया करता था
बहुत दिन हुए।
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