Tuesday, May 3, 2011

ओसामा के अंत के बाद...


रावण था वह इतना बड़ा
कि उसके मरने पर दिशाएं गूंज उठी
जन-गण-मन किल्लोल कर उठा
पर नहीं मिली कोई लंका
नहीं पहचान हो पाई विभीषण की
सीता को शांति में खोज लेंगे हम
दिखा नहीं कोई राम
न ही राम की वह बानर-सेना
सवाल बड़ा अजीब है दोस्तों !
सभ्यता कठपुतली बन गई है प्रतिपक्ष की
हम निरीह दर्शक
बस बजा रहे हैं ताली पर ताली
रावण का मारना तो तय है
लेकिन हम दीवाली तभी मानेंगे
जब विजेता होगा कोई राम ....
रावण था
या कंस था
या महिषासुर ... भस्मासुर था
उसका मारना उत्सव है ....
पर जीता कौन ....
मानवता या दानवता या फिर साम्राज्य की भूख....

1 comment:

विभाव said...

सही कहा,
पर जीता कौन...
जीतने वाला राम है या रावण का ही उत्तर आधुनिक वंश या कोई विभ्रम....
बहुत खूब.....