Monday, May 9, 2011

आज मन
बड़ा बेचैन है ,
जाने क्यूँ
तभी तुम्हें
चिट्ठी
लिखने बैठ गया .....
कैसे
रिएक्ट करोगे ...
यह
नहीं जानता मैं
मैं तो
यह भी नहीं जानता
कि तुम
इसे पढोगे !
लेकिन प्यार का क्या है
ताउम्र
सपने में
और मैं
इसी तरह की हरकतें ...
देख रहा हूँ
प्रेम गुरु
नुस्खे बता रहे
प्रेम के
जैसे नीच मास्टर सिखाता है
पास करने का गुर
कि यही शिक्षा है
मेरे प्यार का
भविष्य
मेरे देश के विकास से
जुडा है
या नहीं
नहीं पता है मुझे
मुझे
तो बस इतना पता है
तुम जब
हँसते हो
तुम्हारी
नकियाई हंसी
मर्म को गुदगुदाती है
सहलाती है
और मैं
सुर्खुरू हो उठता हूँ


No comments: