Sunday, January 8, 2012

पाठक दम्पति बाज़ार में

धीरज पाठक
बाज़ार में जाकर सोचना चाहते हैं
मीना, उनकी पत्नी
बाज़ार में खडी होकर खुश होना चाहती हैं
धीरज पाठक और मीना
बाज़ार में भी
साथ साथ ही रहना चाहते हैं
मीना अच्छी चीज़े देखकर खुश हो उठती है
धीरज पाठक दाम पूछकर चिन्तित हो जाते हैं
दोनों,.. एक दूसरे को सहमत करना चाहते हैं
धीरज पाठक बचपन में लौटना चाहते हैं
मीना और आगे निकल जाना चाहती है
धीरज पाठक को खुश होना अच्छा नहीं लग रहा
मीना को अभी सोचना नहीं भा रहा
लेकिन मीना किसी से पीछे नहीं रहना चाहती
और धीरज पाठक...........???

1 comment:

Onkar said...

badi vyavharik kavita