आज भी मैंने कई इंसान देखे ।
रूबरू उनके कई तूफ़ान देखे ॥
बन गए मालिक कई मेहमान देखे ॥
बेवफ़ाई के कई दीवान पढकर
इश्क में लुटते कई सुल्तान देखे ॥
शहर में पैगम्बरों का वेश धरकर
ज़िबह करते जो कई शैतान देखे ॥
इस सियाही रात में शमाँ लेकर
जगमगाते जो कई ईमान देखे ॥
'दास' का कहना न मानो, सोचिए खुद
भीड में शामिल कई नादान देखे ॥
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