एक
------
वे लोग
अपनी विचारधारा को
निभाते हैं
धर्म की तरह
जिन लोगों ने
धर्म से बहुत पहले ही
सीख लिया
कहना कुछ
और करना कुछ
हालाँकि वे
सिद्धान्ततः धर्म-विरोधी हैं
दो
----
हर बार उसने
अपना चेहरा
आगे कर
कविता की सराहना
मांगी
आखिर लोग
धीरे धीरे
उदासीन होते गए
उसके चेहरे से ..
तीन
-------
न तुम्हें समझ आती है
मेरी प्रतिक्रिया
न मुझे समझ आती है
तुन्हारी प्रतिक्रिया
लेकिन हम
एक दूसरे को देखकर
मुस्कुराते हैं जरूर
चार
-------
नहीं होता कोई सुन्दर
या बदसूसरत
जबतक
कि कोई छुपकर न देखे
बार बार
नहीं होता
होने का कोई मतलब
जबतक
कि कोई दूसरा न हो
------
वे लोग
अपनी विचारधारा को
निभाते हैं
धर्म की तरह
जिन लोगों ने
धर्म से बहुत पहले ही
सीख लिया
कहना कुछ
और करना कुछ
हालाँकि वे
सिद्धान्ततः धर्म-विरोधी हैं
दो
----
हर बार उसने
अपना चेहरा
आगे कर
कविता की सराहना
मांगी
आखिर लोग
धीरे धीरे
उदासीन होते गए
उसके चेहरे से ..
तीन
-------
न तुम्हें समझ आती है
मेरी प्रतिक्रिया
न मुझे समझ आती है
तुन्हारी प्रतिक्रिया
लेकिन हम
एक दूसरे को देखकर
मुस्कुराते हैं जरूर
चार
-------
नहीं होता कोई सुन्दर
या बदसूसरत
जबतक
कि कोई छुपकर न देखे
बार बार
नहीं होता
होने का कोई मतलब
जबतक
कि कोई दूसरा न हो
आँखों के बहुत करीब
आइना
बहुत देर तक
भाता ही नहीं ..
आइना
बहुत देर तक
भाता ही नहीं ..
पाँच
-----
देखना
सकारात्मक देखना ही है
और नया पथ बनेगा
तो मिटानी होंगी
पुरानी लीकें
जब भी बनेगा
नया रास्ता
कुछ मकां टूटेंगे
कुछ चमन उजडेंगे
कुछ दिल बिछडेंगे
सकारात्मक देखना ही है
और नया पथ बनेगा
तो मिटानी होंगी
पुरानी लीकें
जब भी बनेगा
नया रास्ता
कुछ मकां टूटेंगे
कुछ चमन उजडेंगे
कुछ दिल बिछडेंगे
नया नक्शा
पुराने नक्शे को कर देता है
नेस्तनाबूद
तो देखो ..
जरा जोर देकर ज़ेहन पर
कि नए नक्शे में
तुम्हारी जगह कौन सी है
पुराने नक्शे को कर देता है
नेस्तनाबूद
तो देखो ..
जरा जोर देकर ज़ेहन पर
कि नए नक्शे में
तुम्हारी जगह कौन सी है
छः
-----
तुम्हारा आना
नदी का आना था
तुम्हारा जाना
फूल का बिखर जाना था
दोनों
घटनाएँ हैं बस !!
नदी का आना था
तुम्हारा जाना
फूल का बिखर जाना था
दोनों
घटनाएँ हैं बस !!
सात
-----
ज़िन्दगी के
व्याकरण के नियम
जब जब
बदलते हैं
कुछ दिनों तक
असुविधा होती है जरूर
लेकिन
धीरे धीरे
आदत हो ही जाती है
व्याकरण के नियम
जब जब
बदलते हैं
कुछ दिनों तक
असुविधा होती है जरूर
लेकिन
धीरे धीरे
आदत हो ही जाती है
आठ
------
सिद्धार्थ के प्राण
सुजाता की खीर ने बचाए
बुद्ध
फिर भी वैरागी कहलाए
सुजाता की खीर ने बचाए
बुद्ध
फिर भी वैरागी कहलाए
नौ
----
मैं
तब भी अकेला था
मैं अब भी
अकेला ही हूँ
मज़े की बात है
तुम्हारे साथ होते हुए भी
मैंने नहीं छोडा
छन भर के लिए
अकेलेपन का दामन
एक वही तो है जो
मुझे पूर्ण करता है
और सुरक्षित भी ..
तब भी अकेला था
मैं अब भी
अकेला ही हूँ
मज़े की बात है
तुम्हारे साथ होते हुए भी
मैंने नहीं छोडा
छन भर के लिए
अकेलेपन का दामन
एक वही तो है जो
मुझे पूर्ण करता है
और सुरक्षित भी ..
दस
----
तुम्हारे
होंठ
बहुत खूबसूरत हैं ..
..
दिक्कत
यह है
यह बात
बहुत लोग जानते हैं
होंठ
बहुत खूबसूरत हैं ..
..
दिक्कत
यह है
यह बात
बहुत लोग जानते हैं
ग्यारह
---
छिपे जा रहे हैं लोग
अपने अपने खोल में
दिखानी होगी
थोडी नमीं
तभी निकालेंगे कछुए
अपनी गरदन ..
मित्रो ! सभी रहें चौकन्ना
कम से कम एक बार
बता देंगे
समय का सच उन्हें भी
अपने अपने खोल में
दिखानी होगी
थोडी नमीं
तभी निकालेंगे कछुए
अपनी गरदन ..
मित्रो ! सभी रहें चौकन्ना
कम से कम एक बार
बता देंगे
समय का सच उन्हें भी
बारह
-----
तुम्हारी जगह
खाली है आज
और तुम नहीं हो
आज मैं
तुम्हारी जगह
'तुम्हारी जगह' को
देखता हूँ
तुम्हारी जगह को देखना
तुम्हें न देखने की जगह उपजी
एक व्यस्तता है
तुम
अपनी जगह की अहमियत
समझो ..
तुम्हारी जगह खाली है आज
खाली है आज
और तुम नहीं हो
आज मैं
तुम्हारी जगह
'तुम्हारी जगह' को
देखता हूँ
तुम्हारी जगह को देखना
तुम्हें न देखने की जगह उपजी
एक व्यस्तता है
तुम
अपनी जगह की अहमियत
समझो ..
तुम्हारी जगह खाली है आज
देखता हूँ
तुम्हारी जगह को देखना
तुम्हें न देखने की जगह उपजी
एक व्यस्तता है
तुम
अपनी जगह की अहमियत
समझो ..
तुम्हारी जगह खाली है आज
तेरह
------
यह अच्छा है
जो तुम मुझे नहीं जानते
वरना कौन रोकता
कयामत को
जो तुम मुझे नहीं जानते
वरना कौन रोकता
कयामत को
चौदह
-----
तुम्हें चाहिए थी
मुक्ति
और मुझे
संग
तने रहे हम
प्रत्यंचा की मानिंद
मिला
नवागंतुक को
तनाव
यही बना उसका
पाथेय !!
मुक्ति
और मुझे
संग
तने रहे हम
प्रत्यंचा की मानिंद
मिला
नवागंतुक को
तनाव
यही बना उसका
पाथेय !!
पंद्रह
-----
एकलव्य का अंगूठा
कभी नहीं
काटा गया
तीर से
तारीफ़ से काटा गया
हर बार ..
यह
द्रोणों की शक्ति तर्क है
उससे बचने का नुस्खा
बनाओ कोई
कभी नहीं
काटा गया
तीर से
तारीफ़ से काटा गया
हर बार ..
यह
द्रोणों की शक्ति तर्क है
उससे बचने का नुस्खा
बनाओ कोई
बताओ कोई ..
तभी बचेगा अंगूठा
एकलव्यों का
तभी बचेगा अंगूठा
एकलव्यों का
सोलह
------
तेरा चेहरा
किसी से मिलता है
तुम्हीं खोजो
कोई सूरत
उसे भुलाने की
किसी से मिलता है
तुम्हीं खोजो
कोई सूरत
उसे भुलाने की
सत्रह
----
ज़िन्दगी के
व्याकरण के नियम
जब जब
बदलते हैं
कुछ दिनों तक
व्याकरण के नियम
जब जब
बदलते हैं
कुछ दिनों तक
असुविधा होती है जरूर
लेकिन
धीरे धीरे
आदत हो ही जाती है
लेकिन
धीरे धीरे
आदत हो ही जाती है
अठारह
-------
एक रास्ता
तुम्हारे आने का
एक रास्ता
तुम्हारे जाने का
मैं
तुम्हारे आने का
एक रास्ता
तुम्हारे जाने का
मैं
चौराहे पर
खडा
बेबस .. मौन
खडा
बेबस .. मौन
उन्नीस
-------
तुम्हारा
यूँ मिल जाना
अचानक आ गई
तेज बारिश सा था
अच्छा तो लगा
यूँ मिल जाना
अचानक आ गई
तेज बारिश सा था
अच्छा तो लगा
पर
तैयार न था
इसके लिए
तैयार न था
इसके लिए
बीस
------
मैं जब भी
'उसे'
लिखना चाहता हूँ
'तुम्हें'
लिख देता हूँ
'उसे'
लिखना चाहता हूँ
'तुम्हें'
लिख देता हूँ
...
यह गलती
मुझसे
क्यों हो रही है
बार बार
यह गलती
मुझसे
क्यों हो रही है
बार बार
2 comments:
कमाल की रचनाएँ
mujhe bhi pratikriya dene ke badle muskurane ka man kar raha.
behtareeennn
saareee ek se badh kar ek:)
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