Sunday, October 31, 2010

सख्त नापसंद हैं

सख्त नापसंद हैं मुझे-
कविताओं में
अपने ही प्रयुक्त पदों के
अर्थों के लिए
चिरौरी करने वाले कवि,
जो अपनी असुरक्षाओं में करते हैं नष्ट
कविताओं को ;
और थोडा कुछ अलग करने लायक
बेटी को
दायित्त्व और नैतिकता की सीख देने वाले
माँ-बाप
सख्त नापसंद हैं
मानों इन्हें ऐतराज हो
सम्भावना से।

1 comment:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सटीक ...हमें भी नापसंद हैं .