Thursday, February 17, 2011

मैं खुश होना चाहता हूँ

मैं आज
अभी खुश होना चाहता हू।
खुश होना चाहता हूँ यह सोचकर,
कि कोई लड़ा होगा मेरे लिए।
‘लड़ा होगा’ यानि वह केयर करता है
फ़िक्र करता है।
और यह कल्पना भी खुशगवार है बेहद
इसी कल्पना में जीने की ताकत
अंदर, बहुत ही अंदर एक खोह में करता रहता है
अहसास को मजबूत
नहीं, नहीं....
बेकार की बहस में नहीं भटकाना चाहता हूँ जी को
बस मैं खुश होना
और बहुत देर तक खुश रहना चाहता हूँ
ग़लतफ़हमी के टूटने तक.

No comments: