Tuesday, October 4, 2011

मैं सच कहूँगा तुमसे मेरे राम !

मैं सच कहूँगा तुमसे मेरे राम !
मैं नहीं जानता तुम्हारी ऐतिहासिक सच्चाई
नहीं जानता
तथ्यतः कुछ भी तुम्हारे विषय में।
अगर कुछ जानता हूँ मैं
तो मेरा विश्वास है-
उन कवियों और अख्याताओं पर
जिन्होंने रचा है
तुम्हारा महा वृत्तान्त
कि एक राजा था कोशल देश का
जिसके चार सपूतों में तुम थे सबसे बड़े
सिया सुकुमारी के आख्यान के नायक होने के नाते
आदि कवि ने दिया था तुम्हें उच्चासन
तुम्हारे चरित्र को
सिया की विडंबना के साथ सबने
गाया मिलकर साथ साथ
............ लेकिन आज उस देश में
जहाँ मर्यादा पुरुषोत्तम बने तुम
तुम्हारे नाम का अस्त्र और शस्त्र बनाकर
बनिक बुद्धि के कुछ कुटिल राजनीतिज्ञ
कर रहे हैं हमारी भावना की नृशंस हत्या
हमारी सहायता के लिए नहीं आना, तो मत आओ,
पर आओ एकबार अवश्य धरती पर
ताकि रोएँ साथ साथ मिलकर
आओ राम , आओ
मैं रोना चाहता हूँ तुम्हारे कंधे से लगकर .........

No comments: