Monday, January 23, 2012

हिसाब की किताब का खो जाना

और अन्त में कर लें बात साफ़
कि तुमने दिया है मुझे बहुत..
और मैंने भी दिया है बहुत तुम्हें
पर नहीं हुआ था हिसाब बराबर
शायद हमारे हिसाब की किताब खो गई थी कहीं
और हम उलझते गए थे आपस में
कहने वालों ने तो बताया था
हमारा प्यार इसे..
पर उस अनाम अशरीरी दानव ने जब
माँगा था अपना बकाया
कैसे सहम गये थे हम दोनों साथ साथ..
और उसी साथ ने बचाया था
उस राक्षस से हमें
और तभी हमने भी मान लिया था प्यार को..
उस हिसाब की किताब का खो जाना
कितना सुखद था !

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