मैंने लाखों हजारों साल की तारीख मे
कोई ऐसा हर्फ़
कोई जुमला
नहीं देखा -
जो बताता हो कि झूठ की शक्ल ऐसी होती है
कुछ हकीकत होती है
कुछ अफसाना होता है
कुछ वाजिब होता है
कुछ बहाना होता है ....
लेकिन कुछ नहीं होता है झूठ
मैं तो झूठों को हसीन कहता हूँ
सच मानिये तो जहीन कहता हूँ
वे लोग
होते तो सच्चे,
कभी कभी मसखरे मे कभी कह जाते है
.... लेकिन वह झूठ नहीं होता
उनकी आवाज़ होती है .
1 comment:
sundar abhivyakti
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