बहुत दिन हुए
तुम नहीं आए
ज़िन्दगी का क्या है !
वो तो साँसों के सहारे चलती जा रही है
लगा ही रहता है
रोना, मुस्कुराना, बतियाना ...
नींद ले ही लेती है देह
सचमुच .. कई कई किरदार हैं मुझमें
जो निभाता ही जा रहा हूँ मैं
नहीं ... यह नहीं कहूँगा
कि तुम्हारे बिन जीना मुश्किल है
पर इतना तो कहना चाहता हूँ
जो तुम होते तो अच्छा होता
मेरे सारे किरदार
जो कुछ थके-बुझे से हैं
जी उठते तुम्हारा स्पर्श पा कर
बहुत दिन हुए
अकेले में मुस्कुराए
ज़िन्दगी का क्या है
तुम आ जाते तो अच्छा होता !
3 comments:
Beautiful.......
hummm aapki kayi kavitaayein padhkar aesa lagta hai , jaise sabke man ki baat kahi hai , very nice
wah. bahut sundar
Post a Comment