Thursday, February 14, 2013

आंसू के नमक का स्वाद



बेस्वाद लगता था उस भेडिये को
लहू और मांस
तब से
जब से उसे आंसुओं के स्वाद का चस्का लगा
अब वह
खाने के मामले में कलचर्ड हो गया
अक्सर कहता है वक्तव्यों में
बिना यातना और आंसू के मौत
तो छल है, धोखा है
पीठ पर वार है
सचमुच अत्याचार है
[ ठठाकर हंसता है लाल दाँत दिखाते हुए]
वे मेरे शत्रु तो नहीं
शिकार है
सोचा तो पाया कि मुझे उनसे प्यार है
नई पीढी के शिक्षित भेडिए
अलग अलग करना जानते है
नमक को , खून, पसीने और आँसू के

आंसू के नमक का स्वाद
भेडिया कई दिनों तक याद रखता है

1 comment:

Guzarish said...

sunder rachna namak ka swaad
http://guzarish6688.blogspot.in/